History and Development of Computer: आज के टाइम में हर चीज ऑनलाइन है और मोबाइल के अलावा जिसके बिना कोई काम पॉसिबल नहीं होता वो कंप्युटर-लैपटॉप है, अगर कंप्यूटर या लैपटॉप ना हो तो सब काम धरा का धरा रह जाएगा. आज का समय डिजीटल है और एक तरह से पेपरवर्क की जगह कंप्यूटर ने ले ली है. ऐसे में क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर दुनिया का पहला कंप्यूटर कौन-सा था, किसने बनाया था यही नहीं भारत में कंप्यूटर कब और कौन लाया था? आप में से ज्यादातर लोगों को भारत के कंप्यूटर की हिस्ट्री पता नहीं होगी. आज यहां हम आपको कंप्यूटर से जुड़ी हर डिटेल के बारे में बताएंगे.
Abacus
Computer का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना है. जब चीन में एक calculation Machine Abacus का अविष्कार हुआ था. यह एक Mechanical Device है जो आज भी चीन, जापान सहित एशिया के अनेक देशो में अंको की गणना के लिए काम आती थी.
Abacus तारों का एक फ्रेम होता हैं इन तारो में बीड (पकी हुई मिट्टी के गोले) पिरोये रहते हैं प्रारंभ में Abacus को व्यापारी Calculation करने के काम में Use किया करते थे यह Machine अंको को जोड़ने, घटाने, गुणा करने तथा भाग देने के काम आती हैं.
Blase Pascal
शताब्दियों के बाद अनेक अन्य यांत्रिक मशीने अंकों की गणना के लिए विकसित की गई. 17 वी शताब्दी में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Baize Pascal) ने एक यांत्रिक अंकीय गणना यंत्र (Mechanical Digital Calculator) सन् 1645 में विकसित किया गया.
इस मशीन को एडिंग मशीन (Adding Machine) कहते थे, क्योकि यह केवल जोड़ या घटाव कर सकती थी. यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धान्त पर कार्य करती थी. उसमें कई दाँतेयुक्त चकरियाँ (toothed wheels) लगी होती थी जो घूमती रहती थी चक्रियों के दाँतो पर 0 से 9 तक के अंक छपे रहते थे. प्रत्येक चक्री का एक स्थानीय मान होता था जैसे –इकाई, दहाई, सैकड़ा आदि इसमें एक चक्री के घूमने के बाद दूसरी चक्री घूमती थी Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं.
Jacquard’s Loom
सन् 1801 में फ्रांसीसी बुनकर (Weaver) जोसेफ जेकार्ड (Joseph Jacquard) ने कपड़े बुनने के ऐसे लूम (Loom) का अबिष्कार किया जो कपड़ो में डिजाईन (Design) या पैटर्न (Pattern) को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्डो से नियंत्रित करता था.
इस loom की विशेषता यह थी कि यह कपडे के Pattern को Cardboard के छिद्र युक्त पंचकार्ड से नियंत्रित करता था. पंचकार्ड पर चित्रों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति द्वारा धागों को निर्देशित किया जाता था.
Charles Babbage
कप्यूटर के इतिहास में 19 वी शताब्दी को प्रारम्भिक समय का स्वर्णिम युग माना जाता है. अंग्रेज गणितज्ञ Charles Babbage ने एक यांत्रिक गणना मशीन (Mechanical Calculation Machine) विकसित करने की आवश्यकता तब महसूस की जब गणना के लिए बनी हुई सारणियों में Error आती थी चूँकि यह Tables हस्त निर्मित (Hand-set) थी इसलिए इसमें Error आ जाती थी.
चार्ल्स बैबेज ने सन् 1822 में एक मशीन का निर्माण किया जिसका व्यय ब्रिटिश सरकार ने वहन किया. उस मशीन का नाम डिफरेंस इंजिन (Difference Engine) रखा गया, इस मशीन में गियर और साफ्ट लगे थे . यह भाप से चलती थी. सन् 1833 में Charles Babbage ने Different Engine का विकसित रूप Analytical Engine तैयार किया जो बहुत ही शक्तिशाली मशीन थी. बैवेज का कम्प्यूटर के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा हैं. बैवेज का एनालिटिकल इंजिन आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना और यही कारण है कि चार्ल्स बैवेज को कमप्यूटर विज्ञान का जनक कहा जाता हैं.
Dr. Howard Aiken’s Mark-I
सन् 1940 में विद्युत यांत्रिक कम्प्यूटिंग (Electrometrical Computing) शिखर पर पहुँच चुकी थी. IBM के चार शीर्ष इंजीनियरों व डॉ. हॉवर्ड आइकेन ने सन् 1944 में एक मशीन विकसित किया यह विश्व का सबसे पहला “विधुत यांत्रिक कंप्यूटर” था और इसका official Name– Automatic Sequence Controlled Calculator रखा गया.
इसे हार्वर्ड विश्वविद्यालय को सन् 1944 के फरवरी माह में भेजा गया जो विश्वविद्यालय में 7 अगस्त 1944 को प्राप्त हुआ. इसी विश्वविद्यालय में इसका नाम मार्क- I पड़ा. यह 6 सेकंड में 1 गुणा व 12 सेकंड में 1 भाग कर सकता था.
A.B.C. (Atanasoff – Berry Computer)
सन् 1945 में एटानासोफ़ (Atanasoff) तथा क्लोफोर्ड बेरी (Clifford berry) ने एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन का विकास किया जिसका नाम ए.बी.सी.(ABC) रखा गया.
ABC शब्द Atanasoff Berry Computer का संक्षिप्त रूप हैं. ABC सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर (Electronic Digital Computer) था.
उम्मीद हैं आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी!